Thursday 26 November 2015

स्कोरबोर्ड 

दो
बलात्कारों के बीच
इतना अंतराल नहीं रहा
कि ढंग से ख़त्म हो सके
एक प्याली चाय. . . 

और एक आप हैं
कल का स्कोर ढूंढ़ रहे हैं
आज के अख़बार में
सुबह की
पहली चाय में !

( 24 अप्रैल 2015 )

Tuesday 28 July 2015

अजनबी खुशबूओं के रंग

अजनबी खुशबूओं वाली
तुम्हारी यह उम्र
मेरे नथुनें
अब नहीं पहचानते !

बालों में उलझी
ख़ुशबू
शैम्पू की,
होठों से लिपटा
लिपस्टिक का गंध,
आँखों से उठता
काला धुआँ
काजल का
और पोर-पोर बंद
चेहरे का
किसी क्रीम की
सात परतों से . . .

ऊँगलियों से पैरों तक
क़ैद है
तुम्हारी ख़ुशबू
किसी सस्ते नेलपॉलिश के
ठण्डे जमे हुए रंग में;

ऐसे में ढूँढ़ता हूँ
तुम्हारी ख़ुशबू
किसी पुराने एलबम से उठती
पहली सिगरेट से पहले वाली
तुम्हारी
खाँसी में . . .

(27 फ़रवरी 2015)

Saturday 30 May 2015

अंतिम आग्रह

देख रहा हूँ
चलने के लिए
जूते ज़रूरी हो गए हैं
पैरों से ज़्यादा . . .
रास्तों से ज़्यादा
जूतों में ही छिपे हैं
पैरों के निशान . . .
जैसे उन्हें ही तय करना हो
कि जाना कहाँ है ?

जूतों पर 
सिर्फ़ दाम लिखे होते हैं
उनकी उम्र नहीं
हमें याद रखना चाहिए
और भूलना नहीं चाहिए
कि जूते उठा सकते हैं
आदमी का वजन
आदमी के सपनों का नहीं;

थके हुए जूते नहीं
अंतिम आग्रह
थके हुए पैर ही सुन सकते हैं !

(02 मार्च 2013)

Monday 20 October 2014

सोनागाछी का 'छी '

तुम्हारे शहर में 
बस एक चीज़ थी 
जिसकी परछाई नहीं बनती थी 
कभी ज़मीन पर,
नीचे बहती नदी में 
पुल से छूट कर गिरना 
पुल की परछाई का 
हर बार ख़ुदकुशी ही लगी 
एक बार भी नहीं लगा
कि जिस पुल का कैंटलीवर 
पूरा शहर संभाल सकता था 
सिवाय अपनी परछाई के 
उसी पुल पर 
तुम भी तो खड़ी थी..... 

( 12 मई 2014 )

Friday 10 January 2014

चूड़ियों वाला हाथ....  


माँ
बचपन में तुम्हारा मारना
उतना कभी नहीं खला
जितना अब
तुम्हारा
नहीं मारना खलता है.

मुझे याद है
तुम्हारा गुस्सा
जिसमें भूल जाती थी तुम
कलाई से चूड़ियाँ उतारना;
लेकिन चूड़ियाँ कभी नहीं भूलीं
तुम्हें सज़ा देना;
अक्सर, हर बार
तुम्हारी कलाई को
ज़ख़्मी करना
बच्चों को मारते हुए;

और मार खाते हुए
मेरा नन्हा ग़ुस्सा देखता
तुम्हारा
एक-एक कर
कमज़ोर चूड़ियों को
कलाई में ढूंढना,
और ख़ुद ही तोड़ना उन्हें
कुछ बुदबुदाते हुए
जैसे परवाह करते हुए
चूड़ियों की
कलाई से ज्यादा,
अपने ग़ुस्से से ज्यादा;

माँ
बहुत खलता है
अब
तुम्हारा
चूड़ियों से ज्यादा
मेरे बारे में सोचना……


(08 जनवरी 2014)

Monday 30 September 2013

क़ैद 


मेरी माँ में 
और एक वेश्या में 
कभी 
कोई फ़र्क़ नहीं था;

औरतें 
घरों में क़ैद हैं 
या फिर 
बाहर ! 

(२६ जनवरी २०१२)

Sunday 11 August 2013

जवाब 


एक बहुत पेशेवर सवाल है - 
"आप क्या करते हैं ?"

इस सवाल के जवाब में 
यह कभी अपेक्षित नहीं होता 
कि आप हमेशा 
हर हाल में मुस्कुराते हैं; 
या दूसरों की ग़लतियों पर 
आप उन्हें अक्सर माफ़ कर देते हैं; 
या एक सिगरेट  की बजाए 
आप हमेशा दो चॉकलेट ख़रीदते हैं 
घर लौटते हुए; 
या आप इंतज़ार करते हैं शाम का 
जब घर पर इंतज़ार करेगी 
आपके बच्चों की माँ.… 

पूछने वाले का इससे 
कोई सरोकार नहीं होता 
कि ख़ुश रहने के लिए आप 
क्या-क्या करते हैं.… 

वह सिर्फ़ जानना चाहता है 
कि पैसे कमाने के लिए 
"आप क्या करते हैं ?"

(24 फ़रवरी 2010)